This is the very first time I’m posting my poem here on blog which is supposed to be there on my official website Nishabd. I have just finished this sitting in my office and I’m very tired to make it format ready for my website. I will soon post it there too.
गुमनामी बड़ी हसींन लगती है
खुदका असली वजूद ढूंढना है मुझे
कोई मुझे ढूंढे या न ढूंढे
अब फर्क नहीं पड़ता
सपनोंमे दुनिया अलग लगती है
दुनिया बदलनेका ख्वाब देखना है मुझे
कोई मेरा ख्वाब देखे या न देखे
अब फर्क नहीं पड़ता
कुछही रिश्तोंसे ज़िन्दगी लगती है
मेरे अपनोंकी परवाह करनी है मुझे
कोई मेरी परवाह करे या न करे
अब फर्क नहीं पड़ता
अतीत सुनहरी परछाई लगती है
बीते लम्होंको याद करना है मुझे
कोई मुझे याद करे या न करे
अब फर्क नहीं पड़ता
कहानिया सच्ची झूठी लगती है
खुदके किस्से खुदको सुनाने है मुझे
कोई मुझे किस्से सुनाये या न सुनाये
अब फर्क नहीं पड़ता
ज़िन्दगी प्यारकी मोहताज लगती है
सबसे हसींन मौतकी चाहत है मुझे
कोई मुझे चाहे या न चाहे
अब फर्क नहीं पड़ता
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Bahut khoob likha hai 🙂
Thanks kritika 🙂
Wah! bahot achcha likha hai 🙂
Thanks Karuna 🙂
”गुमनामी बड़ी हसींन लगती है
खुदका असली वजूद ढूंढना है मुझे
कोई मुझे ढूंढे या न ढूंढे
अब फर्क नहीं पड़ता
सपनोंमे दुनिया अलग लगती है
दुनिया बदलनेका ख्वाब देखना है मुझे
कोई मेरा ख्वाब देखे या न देखे
अब फर्क नहीं पड़ता”
Awesome! The above paragraphs give it a brilliant start, filled with positivity and strength to dream. Keep doing great work.